अमृतसर। तू डाल-डाल,मैं पात-पात वाली कहावत इधर पंजाबियों पर सटीक बैठती है। चुनाव में पार्टियों के उमीदवारों द्वारा अंधाधुंध धन का प्रयोग रोकने के लिए चुनाव आयोग ने कुर्सियों, कारों, टैंट यहां तक कि समोसे और पकोड़ों की कीमत तय कर दी है। मगर उसे क्या इल्म था कि पंजाबी तय रेट लिस्ट से बाहर का कोई जुगाड़ तलाश कर लेंगे। [@ Punjab Polls: प्रकाश सिंह बादल खेल सकते हैं आखिरी चुनाव का कार्ड] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
पंजाब में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अब रैली के लिए कुर्सियों का प्रयोग नहीं करते हैं। और तो और वे लोगों को रैली स्थल तक लाने के लिए कार या ट्रक का प्रयोग भी नहीं करते है। क्योंकि चुनाव आयोग की रेट लिस्ट के हिसाब से यह खर्चे उनके चुनाव खर्चे में जुड़़ जाते है। यह लोग कुर्सियों के स्थान पर लोगों के बैठने के लिए रैली मैं चारपाइयां ले आते हैं और लोगो को रैली स्थल तक लाने के लिए ट्रेक्टर -ट्राली या देसी घुड़के का प्रयोग करते है। क्योंकि चुनाव आयोग की रेट लिस्ट में इन चीजों का रेयर तो क्या नाम तक नहीं है। बेचारे आयोग के ऑब्जर्वर भी परेशान हैं कि क्या करें। वे मूकदर्शक बनकर यह सब देख रहे हैं कि इनका क्या हो सकता है।
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