जोधपुर। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के गवर्नर भारत की जनता को समय पडऩे पर नोट को बदलने का वचन देता है लेकिन, इस बार नोट बदलने का वचन टूटकर तार-तार हो गया है। हाल ये है कि आम आदमी अपने ही पैसों की खातिर दर-दर की ठोकरें खा रहा है। ये नोटबंदी का पहला दुष्परिणाम है जिसमें, गरीब आदमी अपने पैसों के लिए तरस रहा है। जोधपुर के श्रवण कुमार उपाध्याय का गुस्सा सातवें आसमान पर है। वे कहते हैं कि नोटबंदी के बाद पहली बार बैंक से रुपए मांगे उसमें भी आनाकानी कर दी। बैंककर्मी कहते हैं कि 24 हजार रुपए नहीं दे सकते, बजट नहीं है। दूसरी तरफ करोड़ों के वारे-न्यारे हो रहे हैं और उन लोगों को जरा भी तकलीफ नहीं आई जिनके पास पहले से ही अनाप-शनाप सम्पत्ति थी। ऐसे लोगों के रुपए नोटबंदी के बावजूद बदल दिए गए। जोधपुर, बीकानेर,जालोर, जैसलमेर, पाली, सिरोही और गंगानगर में रसूखदार लोगों के परदे के पीछे बंद हुए नोट सफ़ेद हो गए। ऐसे में आरबीआई की साख भी सवालिया निशान लग रहे हैं क्योंकि यहां धारक को नोट अदा करने का वचन टूट चुका है। अब तो सरकार भी तारीख पर तारीख दे रही है लेकिन, नोटबंदी का असर अब लोगों पर पडऩे लगा है।
500-1000 के बंद नोट अवैध करार देने को अब कानून बदलेगी सरकार
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