मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि अपराधी अगर अपराध का पश्ताचाप करता है और खुद को सुधार लेता है तो वह भी समाज में अच्छे नागरिक की तरह पहचान बना सकता है। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, जो महिला या बच्चे हों, जो व्यक्ति न्यायिक अभिरक्षा में हो व जिसकी वार्षिक आय एक लाख पच्चीस हजार से कम हो उसे तत्काल विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसका खर्चा राज्य सरकार वहन करती है। उन्होंने बंदियों से कहा कि एक बार जिंदगी में गलती होने पर दुबारा उस गलती को नहीं करें। बाद में उन्होंने बंदियों की समस्याएं सुनकर निदान के उपाय बताए।
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