इलाहाबाद। बात ढाई साल पहले की है। भारतीय जनता पार्टी ने पीएम उम्मीद के रूप में नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा की थी। यूपी फतह के लिए मोदी को वाराणसी से लोकसभा चुनाव से उतार दिया गया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल खुद मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़ने पहुंच गये। लेकिन काग्रेस को कोई दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहा था।
तब बनारस के सबसे दिग्गज राज घराने से विकल्प की तलाश शुरू हुई। औरंगाबाद, खजुरी और चेतगंज घराने को एक मंच पर लाकर कांग्रेस ने कार्यकर्ताओ में जोश भर दिया। अब इसका असर चुनाव पर जरूर पड़ेगा यह विश्वास हर कांग्रेसी वोटरों में भर गया था।
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