कॉम्प्रिहेंसिव इंटिग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम यानी
सीआईबीएमएस को डेवलप करने के लिए 20 कंपनियां काम कर रही हैं। उम्मीद है कि
अगले डेढ साल में यह काम जमीन पर दिखाई देने लगेगा।
महानिदेशक ने कहा, इस मामले में कुछ पायलट प्रॉजेक्ट्स पर काम शुरू हो चुका
है। इसमें पंजाब, जम्मू और गुजरात के वे क्षेत्र शामिल हैं, जहां जमीन
बहुत दलदली है। इसमें से एक प्रॉजेक्ट असम के धुबरी में पूरा होने वाला है।
उन्होंने कहा कि 2.5 लाख जवानों वाली देश की सबसे बडी बॉर्डर सिक्यॉरिटी
फोर्स को आधुनिक होने की जरूरत है। जवानों के साथ जब आधुनिक यंत्र जुड जाते
हैं, तो इससे उनकी ताकत और बढ जाती है।
छुपी हुई सुरंगों का पता लगा सकेंगे...
शर्मा ने बताया कि सीआईबीएमएस को शुरू करने के बाद इसमें लेजर बाड, राडार
का इस्तेमाल किया जाएगा और इसे सैटलाइट से भी जोडा जाएगा। इसके बाद जवानों
को तभी ऎक्शन लेना होगा जब उन्हें किसी घुसपैठ या हमले के संकेत मिलेंगे।
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