उमाकांत त्रिपाठी। दिल्ली/लखनऊ।
प्रशांत किशोर कांग्रेस की नहीं अपनी प्रतिष्ठा
बचाने में लगे हुए हैं। प्रशांत किशोर 2014 में पहली बार
सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने नरेन्द्र मोदी के चुनाव प्रचार की कमान संभालते
हुये सफलता पाई थी। उस वक्त प्रशांत किशोर ने सोशल मीडिया की पूरी जिम्मेदारी खुद
उठाई थी और कई तरह के आइडिया भी पीएम मोदी को सुझाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
को लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली। जिस जीत में प्रशांत किशोर का बड़ा हाथ
था। इसके बाद 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव में पीके ने लालू
और नितीश कुमार के साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाई, जिसमें एक बार
फिरसे पीके को जबरदस्त कामयाबी मिली।
पीके ने नीतीश कुमार को एक से बढ़कर एक सुझाव
दिए थे जो कामयाब रहे। नितीश कुमार को किस तरह से चुनाव प्रचार करना है, क्या
बोलना है और क्या मुद्दे रखने हैं इन सब बातों पर सलाह दिए थे। इसके अलावा पीके ने
बिहार के अस्मिता को समझते हुए कई गीत भी पब्लिक में चलवाए थे, जिसको
जबरदस्त कामयाबी मिली। अब पीके को भारत के सबसे बड़े राज्य के विधानसभा चुनाव की
जिम्मेदारी मिली है।
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