अमरीष मनीष शुक्ला,इलाहाबाद। देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाली फूलपुर लोकसभा कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है और इस बिरादरी का रूख ही यहां हार जीत का समीकरण तय करता रहा है। हालांकि लोकसभा क्षेत्र के मुकाबले फूलपुर विधानसभा क्षेत्र राजनैतिक समीकरण को अलग तरह से देखता है। परन्तु इस चुनाव में भी पटेल मतदाता की संख्या दूसरे स्थान पर आती है । जिसे राजनैतिक दल लुभाने का पूरा प्रयास करते हैं । [ इस पानी को पीओगे तो उतर जाएगा जहर] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
जातिगत आंकड़ाफुलपुर में कुल 3,77,867 मतदाता हैं। सबसे ज्यादा 60 हजार मतदाता यादव हैं। जबकि दूसरे नंबर पर 50 हजार पटेल मतदाता हैं । वहीं तीसरे नम्बर प र40 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। इस इलाके में 15 हजार के लगभग वैश्य मतदाता हैं। 12 बारह हजार ठाकुर और 20 से 25 हजार के बीच में मुस्लिम मतदाता हैं। लगभग 15 हजार बिन्द बिरादरी है। 15 हजार के लगभग पाल हैं। दलित मतदाताओं की संख्या भी लगभग 20 हजार है। कायस्थ और अन्य जातियों के लगभग पांच हजार मतदाता हैं।लड़ाई बड़े दलों मेंफूलपुर की लड़ाई में तीनों बड़े दल ही हावी हैं। बसपा व सपा के लिये इस बार भाजपा यहां सिरदर्द साबित होगी। इस वक्त भाजपा उम्मीदवार ही यहां सबसे मजबूत प्रत्याशी बनकर उभरे हैं । सपा ने विधायक रहे सईद का टिकट काट करके मंसूर आलम को मैदान में उतारा है। बसपा ने मुस्लिम समीकरण के लिये मसरूर शेख को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन यहां सबसे तगड़ा दांव भाजपा ने चला है। जातीय गणित को साधने के लिए पूर्व विधायक प्रवीण पटेल को टिकट दिया है।
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