सीकर। कभी सरकार के गले की फांस रहे प्याज के भाव अब अर्श से फर्श तक पहुंच गए हैं। सीकर मंडी में पचास पैसे से पांच रुपए प्रति किलो तक बिकने वाला प्याज बाजार में 15 से 18 रुपए प्रति किलो तक बेचा जा रहा है। इससे किसानों को जहां एक किलो प्याज पर दस से 12 रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं गांवों की यही गिरावट मुनाफाखोरों के लिए फायदे का सौदा बन गई है। मुनाफाखोरों ने अच्छे प्याज का स्टॉक कर लिया और तेजी आने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कम गुणवत्ता का प्याज बाजार में बेच रहे हैं। इससे मंडियों में प्याज लाने वाले किसानों को प्याज लाने के लिए किराये के पैसे तक जेब से चुकाने पड़ रहे हैं। इससे किसानों में रोष है कि प्याज के भाव शुरू से कम रहे हैं। इसके बावजूद सरकार प्याज की सरकारी खरीद शुरू नहीं कर किसानों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
रानोली इलाके के मूंगाराम सीकर कृषि उपज मंडी में प्याज लेकर आए। उन्हें चालीस कट्टों के महज 1100 रुपए मिले। पिकअप चालक को किराये के पैसे देने के बाद किसान के हाथ में कुछ नहीं आया। चावंड्या के लालसिंह ने दस बीघा में प्याज की बुआई की। बुआई के बाद किसान को इतने कम भाव मिले कि उसने प्याज की बुआई से तौबा कर ली।
किसानों ने की बुआई से तौबा
पिछले वर्ष इन दिनों में प्याज के 60 कट्टे एक लाख साठ हजार रुपए तक में बेचे जा रहे थे। वहीं, अब हाल यह है कि किसानों को लागत तो दूर मंडी तक प्याज लाने का किराया तक नहीं मिल रहा है। ऐसे में किसानों ने प्याज की बुआई से तौबा करना शुरू कर दिया है। रही सही कसर सरकारी एजेंसी होने के बावजूद राष्ट्रीय बीज निगम ‘एनएससी’ की ओर से बांटे गए नकली प्याज के बीज के कारण हो गई, जिससे प्याज की गुणवत्ता गिर गई।
यूं समझें गणित
कोर्ट को आप ने राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है, भारतीय न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश : शहजाद पूनावाला
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope