पिछली सुनवाई में सरकार के वकीलों ने प्रशांत की याचिका को ही अवैध ठहराने का प्रयास किया था, लेकिन आयोग ने उनकी बात नहीं मानी। सूत्रों के अनुसार सुनवाई पूरी हो चुकी है और आयोग को सिर्फ यह फैसला लेना है कि ये सभी सचिव लाभ का पद पा रहे थे या नहीं। चूंकि मामले में कोई झोल न रहे, इसलिए सुनवाई जारी है।
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