जयपुर। महंगाई से कुछ माह पहले दाल को तरसे लोग अब फिर थाली में दाल को देखने लगे हैं। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि उत्पादन ज्यादा है, डिमांड कम तो महंगाई कम होती है। अभी बाजार में खरीदार कम हैं। घी, तेल, सब्जी हो या किराना, सब में यही हाल है। व्यापारियों के पास माल ठसाठस है। रोजाना ही भावों में गिरावट आ रही है। जो अरहर 200 रुपए प्रति किलो के नीचे आने तैयार नहीं थी, वह अब 110 रुपए किलो है। चना दाल और बेसन से महंगाई से किनारा करने वाले लोगों की रसोई के डिब्बों में फिर बेसन और चना दाल शोभा बढ़ा रही है। बहुत सारे नोट ले जाकर थैला भरकर सब्जी लाने वाले भी अब उतने ही नोटों में दो थैले में सब्जी ला रहे हैं। यही हाल घी और तेल में देखने को मिल रहा है। आम लोगों की मानें तो नोटबंदी ने परेशान जरूर किया, लेकिन महंगाई का असर कम हुआ है। नोटबंदी से पूर्व 8 नवम्बर के दाल, सब्जियों, घी और तेल के भाव की तुलना 4 दिसम्बर के भावों से करें तो सभी दालों, सब्जियों और तेलों में 20 से लेकर 50 प्रतिशत तक की कमी आई है। इस बारे में खाद्य पदार्थ व्यापार मंडल, जयपुर के अध्यक्ष रामचरण नाटाणी ने कहा कि भाव में गिरावट आई है और आने वाले दिनों में और गिरावट आ सकती है। सभी तरह की दालें करीब-करीब रोजाना ही नीचे आ रही हैं। कई वस्तुओं के दाम में अंतर नहीं आया है, इनमें बढ़ोतरी का ट्रेंड कतई नहीं है। इसमें शक्कर, आटा आदि हैं।
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