जैसलमेर। नोटबंदी की घोषणा ने पूरे देशवासियों के साथ जैसलमेर के बाशिंदों को भी बैंकों के समक्ष ला खड़ा किया है। लोग घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर हैं। वहीं, अपनी परेशानी से पाकिस्तान से पस्तहाल होकर जैसलमेर में अर्से से रह रहे विस्थापितों के सामने तो भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है। इन विस्थापितों के पास मजदूरी कर कमाए 500 और 1000 के नोट तो हैं लेकिन, बैंकों से उन्हें बदलवाने के लिए न भारत का कोई भी पहचान पत्र है और न ही बैंक में जमा कराने के लिए खाता ही खुला है। करीब 85 जनों की इस बस्ती के बाशिंदों का जीवन बेहद कष्टमय हो गया है। उनके घरों में चूल्हे बुझने की नौबत आ चुकी है और फिलहाल कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है।
परेशानी नहीं जीवन का संकट
लक्जरी गाड़ी में थे डेढ़ करोड़ रुपए, बैंक मैनेजर सहित दो हिरासत में
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope