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Punjab election- राजनीती में रिश्तों के कोई मायने नहीं

No value of relation in politics - Punjab-Chandigarh News in Hindi

नरेंद्र शर्मा ।
चंडीगढ़।
राजनीति का खेल महत्वाकांक्षा और मौका परस्ती का दूसरा नाम है। इसमें कोई स्थायी नियम और मर्यादा नहीं होती है। इसका किसी के साथ कोई रिश्ता भी नहीं होता है। इसमें अपना स्वार्थ सर्वोपरी रहता है। इस खेल में सफल होने के लिए कई बार रिश्तों की मर्यादा को भी ताक पर रखना पड़ता है। राजनीति में महत्वाकांक्षी पुत्र किस प्रकार मर्यादा की सभी सीमाएं फलांगता हुआ पिता से आगे निकल जाता है इस सन्दर्भ में मुलायम और अखिलेश से बड़ा कोई उदाहरण है।

यह कोई नई बात नहीं है। विश्व में कहीं का भी नया पुराना इतिहास उठाकर देख लीजिये। सत्ता के लिए रिश्तों की मर्यादा तार-तार होती आई है। बेशक वह रामायण- महाभारत का काल हो, राजाओं महाराजाओं का या फिर अंग्रेजो और मुगलों का। प्रत्येक दौर में सत्ता रिश्तों पर हावी ही रही है। इसमें आश्चर्यचकित होने जा दुख का कोई विषय नहीं है अगर बटाला विधान सभा क्षेत्र के लंबे समय से विधायक चले आ रहे अश्वनी सेखड़ी के भाई इन्दर सेखड़ी ने इस बार बगावत करके टिकट पर अपना दावा जता दिया है।

वह कांग्रेस हाई कमान बटाला की टिकट पर पुनर्विचार करने के लिए कह रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरेंद्र उन्हें मनाने गए थे परन्तु वह अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है की अगर कांग्रेस ने बटाला की टिकट पर पुनर्विचार नही किया तो उन्हें कोई और रास्ता तैलाश करना पड़ेगा। यह भी पता चला है की अगर कांग्रेस ने पार्टी टिकट उन्हें नहीं दिया तो वह अश्वनी सेखड़ी के सामने अपना पंजाब के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में खड़े हो जाएंगें। संगरूर जिले की मलेरकोटला विधानसभा क्षेत्र में सगे भाई -बहिन आमने-सामने हैं।

कांग्रेस ने रजिया सुल्ताना को पार्टी टिकट दिया है। परन्तु उनके भाई अरशद डाली आम आदमी पार्टी के टिकट पर उनके मुकाबले मैदान में आ गए हैं ! तरनतारन खेमकरन सीट पर भी सुखपाल सिंह भुल्लर को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया तो पिता गुरचेत भुल्लर नाराज हो गए। यही नहीं उनके भाई ने भी विरोध किया। मगर बाद में मामला सुलझा लिया गया। नवां शहर में पूर्व मंत्री स्वर्गीय दिलबाग सिंह के परिवार में भी टिकट को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। जिसके चलते तय चरनजीत सिंह चन्नी अपने ही भाई के बेटे अंगद के सामने मुलक़ाबले के लिए मैदान में उतर आये हैं।

इसी प्रकार गुरदासपुर की डेरा बाबा नानक सीट पर भी चाचा -भतीजा चुनाव मैदान मैं आमने सामने हैं। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री संतोख सिंह रंधावा को पुन: इस सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया था। परन्तु चाचा के बेटे दीपिंदर आम आदमी पार्टी का टिकट लेकर चुनाव मैदान में डट गए हैं। इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जिन पर सत्ता के गलियारों तक पहुंचने के लिए रिश्तों की मर्यादा को तार-तार किया जा रहा है।

[@ लादेन के बाद अब बेटाUS के निशाने पर]

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Web Title-No value of relation in politics
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