पठानकोट। एक तरफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ निजी संगठन और संस्थाएं पर्यावरण को हरा भरा करने और वातावरण को बचाने की दिशा में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं दूसरी ओर उसी सरकार के प्रशासनिक कर्मी लापरवाही के चलते इन पेड़ों के प्रति उपेक्षा बरते हुए हैं। जिसके चलते लाखों हरे भरे पेड़ सूखने की कगार पर है। वहीं कुछ व्यापारिक और सामाजिक संगठनों के साथ राजनीतिक नेता इन पेड़ों पर कील ठोककर भी इनके जीवन को खत्म करने में लगे हैं। प्रशासनिक अमले का रुख देखकर लगता है कि पहले ही जंगल माफिया के शिकार ये पेड़ अब और जल्द सूखने की कगार पर पहुंच जाएंगे। [ श्याम मसाले ने कराई घर घर में मौजूदगी दर्ज] [ एक ऐसा मंदिर जिसमें शिला रूपी स्वयंशम्भू का आकार बढ़ रहा है ] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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