उदयपुर। बी.एन. विश्वविद्यालय परिसर में लगे हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम के मेले में मेवाड़ के विभिन्न धामों से भगवान पधारे हैं। मेला प्रांगण में प्रतिदिन सुबह और शाम प्रभु की छवियों की आरती परम्परानुसार हो रही है। वहीं इनकी छवियों के दर्शन लाभ दिन भर हो रहे हैं। प्रभु का प्रसाद भी मिल रहा है। यहां पर भगवान एकलिंगनाथ, श्रीनाथ जी, माता त्रिपुरा सुंदरी, श्री सांवलिया सेठ, द्वारिकाधीष, ऋशभदेव जी पधारे हुए हैं। शहर के श्रद्धालु इनके अलावा संध्या में नियमित रूप से होने वाली गंगा आरती की ओर भी विषेश रूप से आकर्शित हैं। महादेव की जटा से बहती गंगा और उसकी आरती के विषाल स्वरूप से मां गंगा का अलौकिक रूप निष्चित ही आस्थावानों की आंखों में बस गया है।
एकलिंगजी
मेवाड़ के ईष्टदेव और शासक के रूप में प्रतिष्ठित मेदपाटेश्वर एकलिंगनाथ का इस मेले में पधारना उदयपुर की जनता का परम सौभाग्य है। उदयपुर 22 किलोमीटर दूर मेवाड़ की काशी कहलाने वाले कस्बे कैलाशपुरी में विराजित एकलिंगनाथ लकुलिष सम्प्रदाय का शिवधाम है। इस मंदिर का निर्माण बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। बाद में इस मंदिर का समय-समय पर पुनरूद्धार किया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। इस परिसर में कुल 108 मंदिर हैं। यहां पर सुबह 4 बजे से 6:30 बजे तक, 10:30 से दोपहर 1:30 तक तथा शाम 5:30 से रात 8 बजे तक दर्शन होते हैं। इस मेले में विराजित एकलिंगनाथ की छवि रूप का दिन भर दर्षन कर प्रसाद प्राप्त किया जा सकता है और प्रात:-सायं की आरती का दर्शन लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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