नेरचौक(मंडी)। नेरचौक स्थित लाल बहादूर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के इसी सत्र से कक्षाएं शुरू होने की सम्भावनाएं प्रबल हो गई हैं। कॉलेज प्रशासन इन दिन एमसीआई द्वारा लगाई गई खामियों को दूर करने में जुटा हुआ है ताकि कॉलेज को शीघ्र एलओपी मिल सके। वहीं कॉलेज प्रशासन फैक्लटी तैनाती के लिए भी दिन रात प्रयास कर रहा है। विभिन्न प्रकार की फैक्लटी पूर्ण करने के लिए साक्षात्कार लिये जा रहे हैं। जहां अब तक 70 फीसदी फैक्लटी की तैनाती कॉलेज प्रशासन कर चुका है तथा षेष 30 फीसदी फैक्लटी को पूर्ण करने के प्रयास भी जारी हैं। [@ अजब-गजबः नमक के दाने पर पेंटिंग का रिकार्ड] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज में अब 95 नर्सों की नियुक्ति हो चुकी है। नर्सों को रोगी कल्याण समिति के अधीन नियुक्ति प्रदान की गई है। जिसके लिए उन्हें 28 जनवरी से पहले ज्वायनिंग देनी होगी। मैडिकल कॉलेज में स्थापित म्यूजियम में अनौटमी विभाग ने हर सुविधा प्रदान कर दी है। म्यूजियम कॉलेज के लिए बिल्कुल तैयार है, वहीं लाईब्रेरी में भी हर तरह की पुस्तकें रखी जा चुकी हैं। आने वाले कुछ ही दिनों में एमसीआई की टीम दौरा करेगी। जिसके चलते कॉलेज प्रशासन ने हर औपचारिकता पूर्ण करने के लिए हर सम्भव प्रयास जारी रखे हैं। दौरे के दौरान कॉलेज प्रबन्धन कोई भी खामी नहीं रहने देना चाहता। ताकि इस मर्तवा कॉलेज को एलओपी मिल सके और इसी सत्र में प्रथम बैच शुरू हो जाये।
विदित रहे कि नेरचौक स्थित ईएसआईसी द्वारा निर्मित मैडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के संचालन से हाथ पीछे करने पर प्रदेश सरकार ने कॉलेज के संचालन का जिम्मा लेते ही संचालन की औपचारिकतायें पूर्ण करने में वीरभद्र सरकार किसी भी प्रकार की खामी नहीं छोड़ना चाहता है। वहीं लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज में हर वर्ष 100 चिकित्सक बनेंगे। जिसमें ईएसआईसी सहित प्रदेश के युवाओं के लिए सीटें आरक्षित रखी गई हैं। डॉ. डीएस धीमान डीन एवं प्रधानाचार्य एलबीएस मैडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक का कहना है कि एमसीआई द्वारा लगाई गई आपतियों को पूर्ण किया जा रहा है। कॉलेज को एलओपी मिलते ही इसी सत्र से कक्षाएं शुरू कर दी जायेंगी।
प्रकाश चौधरी आबकारी एवं कराधान मन्त्री का कहना है कि प्रदेश सरकार जनता को हर सुख सुविधा घर-द्वार पर देने के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी के अन्तर्गत एलबीएस मैडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का जिम्मा भी प्रदेश सरकार ने उठाया है। ताकि लोगों को ईलाज हेतु निजी अस्पताल चण्डीगढ-दिल्ली न जाना पड़े।
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