अभिषेक मिश्रा,लखनऊ। लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में से पूर्व विधानसभा की ओर हर पार्टी की निगाहें लगी हैं।खासकर भाजपा के लिए यह सीट कई मायनों में खास है। दरअसल, बीजेपी के गढ़ के रूप में पूर्व विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी की जीत तय मानी जाती है। ऐसे में भाजपा से कोई भी बड़ा प्रत्याशी यहीं से अपनी किस्मत आजमना चाहता है। वर्तमान में भी बीजेपी के आशुतोष टंडन यहां के विधायक हैं। इस सीट पर वर्ष 1991 से बीजेपी का कमल ही खिलता रहा है। [@ Punjab election 2017- क्या इस बार भी बागी बनेंगे कांग्रेस की हार का कारण...]
ऐसे में दूसरी पार्टियां भी बीजेपी के किले को भेदने के लिए मजबूत प्रत्याशी उतारना चाह रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि डॉ. दिनेश शर्मा को भी यहीं से प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है। हालांकि उनके लिए यह आसान नहीं होगा। यहां सपा ने पहले ही डॉ. श्वेता सिंह व बसपा की ओर से सरोज कुमार शुक्ला का टिकट दिया जा चुका है। बीजेपी के मौजूदा विधायक आशुतोष टंडन गोपाल भी दोबारा इसी सीट से विधायक बनने का सपना देख रहे हैं। साल 2012 से पहले तक यहां केवल शहरी क्षेत्र ही था। महोना का ग्रामीण इलाका उस समय शामिल नहीं था।
महोना से साल 2007 में बीएसपी के नकुल दुबे विधायक थे। वर्ष 2012 में कलराज मिश्र व उपचुनाव वर्ष 2014 में आशुतोष टंडन गोपाल जी ने यहां से जीत हासिल की थी। टंडन ने उस समय चुनाव में सपा की जूही सिंह व कांग्रेस के रमेश श्रीवास्तव को हराया था। पूर्व विधानसभा में करीब 80 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। भाजपा इस श्रेणी के मतदाता को अपने खेमे में ही मानती रही है।
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