श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को
सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या को जायज करार देते हुए कहा कि
जिन्हें गोली या पैलेट लगी, वे दूध या टॉफी खरीदने बाहर नहीं निकले थे।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित
करते हुए महबूबा को कुछ कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। उनसे पूछा गया कि
कैसे वे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ असंगत बल प्रयोग को उचित ठहरा सकती है,
जबकि वे जब विपक्ष में थीं, तो साल 2010 में नागरिकों की मौत पर उन्होंने
सरकार की आलोचना की थी। जब
मुख्यमंत्री पत्रकारों के सवालों से झल्ला गईं और उन्होंने प्रेस
कांफ्रेंस समाप्त करने की घोषणा कर दी, जबकि राजनाथ सिंह बैठे ही रहे।
इस पर मुख्यमंत्री ने क्रोधित होते हुए
पत्रकार से कहा कि उन्हें दो घटनाओं की तुलना नहीं करनी चाहिए। महबूबा ने
कहा, ‘‘आप गलत है। 2010 में जो हुआ उसका एक कारण है। माछिल में एक नकली
एनकाउंटर हुआ था। तीन नागरिक मारे गए थे। आज तीन आतंकवादी मारे गए हैं और
उसके लिए सरकार को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है?’’
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