आगरा।
कालिंदी एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच हुए टकराव के बाद कुछ ऐसे तथ्य सामने आए
हैं, जिसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे। इसी ट्रेक पर ढाई दशक में तीन बार
कालिंदी एक्सप्रेस किसी दूसरी ट्रेन से टकराव का शिकार हो चुकी है। कानपुर से शुरू
होकर दिल्ली से होते हुए भिवानी तक का सफर तय करने वाली कालिंदी एक्सप्रेस लगभग
ढाई दशक में तीन बार जिले में हादसे का शिकार हो चुकी है। [# यूपी चुनाव: सत्ता के लिए सब चलेगा, भले दागी ही क्यों न हों?] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
टूंडला टक्कर ने 22 साल पुरानी कालिंदी-पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के हादसे की यादें
ताजा कर दीं है। कानपुर सेंट्रल से शाम 5.40 बजे चलकर हर रोज 605 किमी का सफर तय
करने वाली कालिंदी इस रूट की महत्वपूर्ण ट्रेनों में शुमार है। अब तक यह ट्रेन
जिले में तीन बार हादसे का शिकार हुई। तीनों ही बार सामने वाली ट्रेन से टकराई। 20
अगस्त 1995 की रात लगभग दो बजे दिल्ली जा रही कालिंदी एक्सप्रेस ने आगे जा रही
पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में टक्कर मारी थी। इस भयानक हादसे में 358 लोग मारे गए थे।
हजारों यात्री घायल हो गए थे। 1990 के दशक का यह सबसे बड़ा हादसा था। इसके बाद 16
जनवरी 2010 की सुबह कोहरे के चलते देरी से चल रही कालिंदी ने पश्चिमी आउटर के पास
आगे जा रही श्रमशक्ति एक्सप्रेस में टक्कर मारी थी। इस घटना में तीन यात्रियों को
अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। घटना में दर्जनों घायल हुए थे।
यह स्थान वही था, जहां इस बार भी हादसा हुआ। कालिंदी एक्सप्रेस पहली बार 1995 में
जब दुर्घटनाग्रस्त हुई, तब भी हादसे का कारण मानवीय चूक थी। कंट्रोलर ने एक ही
ट्रैक पर दोनों ट्रेनों को दौड़ा दिया था, जबकि 2010 और अबकी बार हुआ हादसा
ड्राइवरों की गलती के कारण हुआ।
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