नई दिल्ली। देश के सातवें और अंतिम नेविगेशन सेटेलाइट को लॉन्च कर इसरो ने
अंतरिक्ष के क्षेत्र में गुरुवार को बडी कामयाबी हासिल कर ली। श्रीहरिकोटा
से सातवें दिशा सूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-1जी का गुरुवार को श्रीहरिकोटा के
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी खुद भी दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मिशन पर नजर बनाए
हुए थे। इसी के साथ भारत अमेरिका और रूस की कतार में शामिल हो गया। अमेरिका
आधारित ग्लोबल सिस्टिम यानी जीपीएस जैसी क्षमता हासिल करने की दिसा में
आखिरी कदम बढाते हुए इसरो ने गुरुवार को यह सैटेलाइट लॉन्च किया।
आईआरएनएसएस
अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की तर्ज पर दिशा सूचक सेवाएं
मुहैया करायेगा। इस शृंखला में प्रथम उपग्रह का प्रक्षेपण जुलाई 2013 में
किया गया था। भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के
तहत प्रस्तावित सात उपग्रहों के प्रक्षेपण की शृंखला में यह अंतिम उपग्रह
है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर इसरो की पूरी टीम को बधाई दी। साथ ही
उन्होंने कहा कि भारतीय जीपीएस दुनिया में ‘नाविक’ के नाम से जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्षों से मछुआरे और नाविक चांद-सितारों की गति से समुद्र
में यात्राएं करते थे। यह उपग्रह उनको समर्पित है। प्रधानमंत्री ने कहा, अब
हमारे रास्ते हम तय करेंगे। कैसे जाना है, कैसे पहुंचना है, यह हमारी अपनी
तकनीक के माध्यम से होगा।
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