• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

नवाचार : गंवरी खेलने वाले लोगों ने बंद की पहरावनी की परंपरा

Innovation: Pahravni tradition cloesd to Ganvri playing people - Udaipur News in Hindi

उदयपुर। मेवाड़ में जनजाति समुदाय द्वारा खेली जाने वाली गंवरी में एक ऐतिहासिक बदलाव किया गया है। अब इस गंवरी को खेलने वाले लोगो ने ‘पहरावनी’ यानी कपड़े लेने की परंपरा को बंद कर दिया है। पहले जिस गांव के लोग गंवरी को अपने गांव में खेलने का न्योता देते थे, उस गांव के लोग गंवरी के कलाकारों को पहरावनी के रूप में कपड़े भेंट करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सदियों से चली आ रही परंपरा में बदलाव भी अब नजर आने लगा है।

भील समुदाय ने सदियों से चली आ रही ‘पेहरावणी’ की परंपरा को आर्थिक बोझ मानते हुए बंद कर दिया है। समुदाय के इस निर्णय से गवरी विसर्जन पर जहां नाते-रिश्तेदार को राहत मिलेगी, वहीं शादी-विवाह व अन्य सामाजिक अवसरों पर भी बहन-बेटियों पर पडऩे वाला बोझ भी कम हो जाएगा। साथ ही ऐसे अवसरों पर मदिरापान पर खर्च करने को भी सामाजिक बुराई मानकर इस पर लगाम कसने की तैयारी है। यह निर्णय राजस्थान आदिवासी संघ की बुधवार को नांदेश्वर उपशाखा की बैठक में किया गया। बैठक में जिलाध्यक्ष धनराज अहारी, मठ अध्यक्ष देवीलाल भगोरा, सचिव मगनलाल मीणा सहित 27 गांवों के लोग, पंच, सरपंच, मुखिया आदि मौजूद थे। बैठक में सभी ने गवरी, शादी, नवरात्र, गंगोज पर आने वाली समस्त तरह की पहरावणी व लड्डू पर रोक लगा दी। समाज ने इस रस्म के अदायगी के लिए लिफाफे भराने पर निर्णय लिया, जिसमें अपनी श्रद्धानुसार कोई भी कितनी भी राशि रख सकेगा। इस सामाजिक अवसर पर शराब पीने व पिलाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर समाज स्तर पर दंड का निर्णय लिया गया है।

भगवान शिव-पार्वती की आराधना का लोकनृत्य है गंवरी
गंवरी भगवान शिव-पार्वती की आराधना का लोकनृत्य है। ठंडी राखी से इसकी शुरुआत होती है, जो 40 दिन तक अलग-अलग गांवों में रमी जाती है। इसमें भील समुदाय के लोग छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से विभिन्न स्वांग रचते हुए सामाजिक संदेश देते हैं। आसोज की नवमी से इसका समापन शुरू होता है।

मेवाड़ में कुल 50 गंवरी
मेवाड़ में आदिवासियों की कुल 50 गंवरी है। नांदेश्वर मठ की आठ गंवरियां हैं। इनमें पई, कुम्हारियाखेड़, पीपलवास, छोटी उंदरी, पिपलिया, कोडिय़ात, राताखेत व करनाली शामिल हैं। इन आठों गांव के ग्रामीण अलग-अलग गांवों में गंवरी रमते हैं। विसर्जन के दौरान बहन-बेटियां परिवार के लिए पहरावणी स्वरूप कपड़े व लड्डू लेकर आती हैं। इस पर करीब पांच से आठ हजार का खर्च आता है।

यह भी पढ़े

Web Title-Innovation: Pahravni tradition cloesd to Ganvri playing people
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: innovation, pahravni, tradition, cloesd, ganvri, playing, people, udaipur, rajasthan hindi news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, udaipur news in hindi
Khaskhabar Rajasthan Facebook Page:
स्थानीय ख़बरें

राजस्थान से

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved