नई दिल्ली। भारत सोमवार को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) में
औपचारिक तौर पर शामिल हो गया है। दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु
टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआर अहम है। तीन
दिन पहले चीन और कुछ अन्य देशों के कड़े विरोध के कारण भारत एनएसजी की
सदस्यता हासिल करने से वंचित रह गया था, मगर इसे एनएसजी से भी बेहतर माना
जा रहा है। बीते साल ही भारत ने एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
फ्रांस
की राजधानी पेरिस में हुई बैठक में यह फैसला किया गया था। इसके बाद नई
दिल्ली में फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जेमबर्ग के राजदूतों के साथ इस फैसले को
अमली जामा पहना दिया गया। इस मौके पर भारत ने सबकी सहमति से एमटीसीआर का
सदस्य बनाए जाने के लिए सभी सदस्यों देशों का आभार जताया।
एमटीसीआर में
भारत की सदस्यता किसी भी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत का
पहला प्रवेश होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हमने
पिछले साल एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था और सारी
प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं। विदेश सचिव एस जयशंकर फ्रांस,
नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में एमटीसीआर में शामिल होने
के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरूप
ने एनएसजी की सदस्यता न मिलने को नाकामी मानने से इनकार करते हुए कहा कि
इस मामले में हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।
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