जिसके कारण स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाली बेटियों को शौच करने के लिए खुले में जाना पड़ रहा है। बेटियों को स्कूल में अध्यापक न होने का मलाल है। बेटियों ने बताया कि अभिभावक बड़ी मुश्किल से गांव में बने सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ने भेजते है। लेकिन अध्यापक व मूल-भूत सुविधाओं की कमी के कारण अधिकांश लड़कियां स्कूल पढ़ने आने के बजाय घर बैठ गई है। उन्होंने बताया लड़कियों को मजबूरी में फर्श पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। इस संबंध में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सुमेर सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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