कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर को अंतराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने में अब किन्नौरी शॉल व काला जीरा अह्म भूमिका निभायेंगे। जिसके तहत प्रदेश के राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद् ने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर व लाहुल-स्पीति के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में तैयार होने वाले कुछ महत्वपूर्ण उत्पादों को ज्योग्राफिकल इंडिगेशन देने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि विश्व भर में प्रसिद्ध कुल्लू शॉल के बाद प्रदेश के अन्य उत्पादों को भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान देने को लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। [@ हिमाचल कांग्रेस में छिड़ी राजनेताओं के रिटायरमेंट की जंग]
हालांकि प्रदेश के परंपरागत ऐसे छः उत्पादों को परिषद् पहले ही ज्योग्राफिकल इंडिगेशन दे चुकी है और अब किन्नौर की किन्नौरी शॉल के साथ ही काला जीरा, चूली का तेल के अलावा हिमाचल प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उगाए जाने वाले लाल चावल, राजमाह को भी ज्योग्राफिकल इंडिगेशन (जीआई) का दर्जा देने की योजना है। जिसके चलते इन उत्पादों को जीआई के तहत लाने के बाद इनकी दुनिया भर में अलग ही पहचान होगी।
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