मामले के बारें में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता के वकील नीरज गुप्ता ने
बताया कि आरक्षण को लेकर एक याचिका दायर करते हुए इसे चुनौती दी थी। जिसमें
कहा गया कि आर्थिक रूप से पिछड़े होने के कारण किसी को आरक्षण का लाभ नहीं
दिया जा सकता इसके लिए उसका समाजिक व शैक्षिणिक पिछड़ापन होना भी जरुरी
है। इसी तरह साल 2010 में गुजरात सरकार ने भी ई बी पी के आधार पर 10 फीसदी
आरक्षण दिया था जिसे साल 2016 में गुजरात हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
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