जोधपुर। शक्ति रूपिणी मां चामुंडा दीपक की लौ के रूप में आकर जोधपुर के एक पहाड़ पर स्थापित हुई और उसके बाद रियासत के महाराजा ने यहां मंदिर बनवाया। कहते हैं राव चूंडा मां चामुंडा के भक्त थे और वो मां के दर्शन किए बगैर भोजन नहीं लेते थे। इस तरह मां की भक्ति पीढ़ी दर पीढ़ी चली और मंडोर रियासत के तत्कालीन महाराजा राव जोधा ने मेहरानगढ़ की स्थापना की। जानकर बताते हैं कि ये बात दन्तकथा मानी जाती है, लेकिन सच है कि राव जोधा भी मां के भक्त थे और मां को सच्चे मन से याद करते थे। जनश्रुति में कहा जाता है कि राव जोधा भी अपने पूर्वजों की तरह मां के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते थे।
राव जोधा की भक्ति से प्रसन्न हुई मां
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