नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड में पारा चढऩे की वजह से जंगलों में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। जंगलों को राख में तब्दील करने के बाद आग अब गांवों तक पहुंचने लगी है। चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर और गढ़वाल के सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में हैं। जंगलों में आग की वजह से छह लोगों की मौत हो गई है, इनमें से तीन लोगों की मौत आग पर काबू पाने के दौरान हो गई। इसके अलावा एक महिला समेत 14 लोग झुलस चुके हैं।
राज्य में गुरुवार एक ही दिन में 120 स्थानों पर भडकी आग न पौने दो सौ हेक्टेयर को अपनी चपेट में ले लिया। वन विभाग के पास आग पर काबू पाने के लिए पूरे इंतजाम नहीं होने के कारण ग्रामीण खुद गांवों को आग से बचाने में जुटे हुए हैं। पौडी से कोटद्वार जा रही एक जीप जंगल की आग में घिर गई। खुद को बचाने के लिए जीप से निकलकर भाग रहे सात यात्री झुलस गए। हालांकि जीप में बैठे अन्य पांच यात्री सुरक्षित हैं। इन सभी को जिला अस्पताल लाया गया। सीएमएस डॉ यूएस कंडवाल ने बताया कि 60 फीसदी झुलसी एक महिला को रेफर किया गया है। 13 पहाड़ी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य के 4,500 वन कर्मचारी आग की घटनाओं पर नजऱ बनाए हुए हैं।
वन कर्मचारियों की छुट्टी रद्द
राज्यपाल ने इस आपदा से निपटने के लिए राज्य के सभी वन कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी है। जंगलों में अचानक लगी आग के बाद वन विभाग हरकत में आया है। हैल्पलाइन नंबर 920800800 जारी किया है, जिस पर फोन कर वन अपराध की जानकारी दी जा सकती है। वन विभाग शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करेगा।
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