बिलासपुर। पूरे उत्तरी भारत हिमाचल प्रदेश की एकमात्र मानव निर्मित झील गोविंदसागर सतलुज नदी पर बनाई गई है और बिलासपुर जिले में हरनोड़ा से भाखड़ा तक लगभग 80 किलोमीटर के क्षेत्रफल में यह फैली हुई है। नदियों में प्रदूषण की समस्या से इसे भी अछूता नहीं कहा जा सकता। जहां से बिलासपुर की सीमा आरंभ होती है वहीं से आरंभ हो जाता है इसका प्रदूषित होना। इन दिनों फोरलेन हाइवे के निर्माण के लिए खुदाई करने का कार्य एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है और हैरानी की बात तो यह है इस कंपनी ने खुदाई का मलबा सीधा सतलुज में डालना आरंभ कर दिया है। [@ Punjab election- चुनावी चौसर में दिग्गजों का आखिरी दांव चलना है बाकी]
बताते हैं कि ऐसा ही हाल आरंभ में एसीसी सीमेंट कंपनी और कोल बांध का निर्माण कर रही एनटीपीसी ने भी किया और काफी हद तक सतलुज को प्रदूषित किया लेकिन बाद में प्रदूषण विभाग की हरकत सेे मामला सुलझा और एसीसी ने अपना ही ट्रीटमैंट प्लांट लगा लिया जिससे इस कंपनी द्वारा फैलाया जाने वाला प्रदूषण भी कम हो गया था। सबसे अधिक खस्ता हालत तो बिलासपुर में है जहां पर सतलुज नदी एक झील का रूप ले लेती है और इसे भाखड़ा बांध बनने के कारण गोविंदसागर के नाम से जाना जाता है। इस नगर में तो हालत इतनी अधिक खराब है कि नगर का सारा गंदा पानी सीधे ही झील में डाल दिया गया है और उसे सुधारने का कोई भी प्रयास नहीं किया गया।
हैरानी तो इस बात की है कि बिलासपुर नगर परिषद द्वारा पूरे शहर के कूड़े को डंप करने के लिए जो स्थान बनाया गया है वह भी गोविंदसागर के किनारे खुले में ही है जिससे सारी गंदगी गाहे-बगाहे गोविंदसागर में चली जाती है। इस तरह से जल को प्रदूषित करने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर परिषद पर केस भी दायर कर रखा है और मामला अदालत में विचाराधीन है। बिलासपुर से लेकर भाखड़ा तक कई ऐसे गंदे नाले हैं जो सीधे गोविंद सागर में जाकर मिलते हैं लेकिन उनकी ओर न तो प्रशासन का ही ध्यान जाता है और न ही उन्हें रोक पाने में पर्यावरण संस्था या विभाग ही आगे आ पाता है। गौर रहे कि बिलासपुर जिले में 35 योजनाएं पेयजल की ऐसी हैं जो सीधे गोविंद सागर से उठाई गई हैं यह तो गनीमत समझिए कि आइपीएच विभाग ने अपने जल शोधन संयंत्र लगा रखे हैं अन्यथा पीने के पानी के नाम पर भी जहर ही पीने को मिलता।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशाषी अभियंता आर के नडडा का कहना है कि बिलासपुर में सतलुज नदी पर निर्मित गोविंदसागर झील कुछ हद तक वास्तव में प्रदूषित है। उन्होंने कहा कि विभाग का हरदम यह प्रयास रहता है कि किसी भी तरह से फैलने वाले प्रदूषण को रोका जाए और इस मामले के कारण ही विभाग ने बिलासपुर नगर परिषद पर कोर्ट में केस भी दायर कर रखा है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा हर मामले की जांच की जाती है और चौकसी से सारा कार्य किया जाता है।
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