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फर्जी मार्कशीट से बनाई गांव की सरकार, 469 हैं दागदार

government of the village created by the Fake mark sheets , 469 are tainted - Jaipur News in Hindi

जयपुर। चुनाव नामांकन में तथ्य छिपाने के मामले में कोर्ट द्वारा भरतपुर की जिला प्रमुख बीना का निर्वाचन रद्द करने के फैसले के बाद अब पंचायत चुनावों में योग्यता छिपाने का मसला फिर गरमा गया है। प्रदेश में 2 साल पहले हुए पंचायत चुनावों में पहली बार शैक्षणिक योग्यता लागू की गई। फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज लगाकर कई लोग चुनाव जीते और सरपंच, जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य बन गए। फर्जी मार्कशीट से चुनाव जीतने वाले ऐसे 1591 मामले प्रदेशभर में दर्ज हुए। पुलिस ने जांच की और 749 मामलों में मार्कशीट फर्जी मानते हुए कोर्ट में चालान पेश कर दिया। 469 मामलों में जांच जारी है, जबकि 373 मामले झूठे निकले। जिन 749 जन प्रतिनिधियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई है, उनमें से सरकार ने सिर्फ 73 सरपंचों पर निलंबन की कार्रवाई की है। सरकार अब मामले कोर्ट में होने और हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर किसी भी कार्रवाई से इनकार कर रही है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि जिस मकसद से सरकार ने शैक्षणिक योग्यता का नियम चुनाव में अनिवार्य किया था, वह कैसे पूरा होगा। शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने के पीछे राज्य सरकार का तर्क था कि वित्तीय लेन-देन में सरपंच, प्रधान और जिला प्रमुख के हस्ताक्षर से ही चेक जारी होते हैं। अगर वे पढ़े-लिखे होंगे तो हस्ताक्षर करने से पहले खुद पढक़र मामले को समझ सकेंगे। विभिन्न बैठकों की प्रोसिडिंग समझकर टिप्पणी लिखने के साथ आदेश जारी कर सकेंगे। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में उन्हें मदद मिल सकेगी। अब अगर इनमें से फर्जी योग्यता के आधार पर इन पदों तक पहुंचा है तो वह कैसे इस मकसद को पूरा करेगा। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग के उपसचिव अशोक कुमार जैन ने बताया कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि को हटाने की शक्तियां निर्वाचन आयोग के पास नहीं है। हमारा काम सिर्फ चुनाव कराना है। वहीं, पंचायतीराज विभाग के सचिव आनंद कुमार ने बताया कि पुलिस की चार्जशीट के बाद ही सरकार ने जन प्रतिनिधियों को सस्पेंड करने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। इस बीच हाईकोर्ट का आदेश आया और कार्रवाई रोक दी गई। बता दें कि सरकार ने जनवरी 2015 में पंचायत चुनाव से ठीक पहले अध्यादेश के जरिए सरपंच बनने के लिए 8वीं, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्य के लिए 10वीं पास होना जरूरी किया था। अनुसूचित जाति को रियायत देते हुए सरपंच की योग्यता 5वीं पास रखी थी। चुनाव लडऩे के लिए यह योग्यता भी कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से हासिल की।

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