लखनऊ। एक ओर जहां सेना और अर्द्धसैनिक बलों में भेदभाव के कई मुद्दे उछल रहे हैं, ऐसे में आम्र्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल का ऐतिहासिक फैसला आया है, जिसमें एक सैन्य अधिकारी का 26 साल पहले किया गया कोर्ट मार्शल रद्द कर सेना प्रमुख और केंद्र सरकार पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। 26 साल पहले एक सैकंड लेफ्टिनेंट को गलत तरीके से कोर्ट मार्शल कर जेल भेज दिया गया था। गुरुवार को आम्र्ड फोर्सेज ट्रिब्युनल की लखनऊ पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सैकंड लेफ्टिनेंट शत्रुघ्न सिंह चौहान को न सिर्फ बेदाग माना बल्कि उन्हें नौकरी पर बहाने करने और प्रमोशन देने का भी आदेश दिया। इसके साथ रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की रकम में से 4 करोड़ रुपये चौहान को मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया गया है। जुर्माने की बाकी बची रकम को सेना के केंद्रीय कल्याण फंड में जमा कराने होंगे।
दोषियों के खिलाफ की जाए कार्रवाई
आम्र्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और प्रशासनिक सदस्य एयर मार्शल जस्टिस अनिल चौपड़ा की खंडपीठ ने 300 पेज के फैसले में पीडि़त को छूट दी है कि वह अपने ऊपर हुए हमले की एफआईआर भी दर्ज करा सकते हैं। अधिकरण ने सेना को आदेश दिया कि चौहान के खिलाफ की गई कई जांचों में प्रताडि़त करने और उसे फंसाने वालों के खिलाफ भी जांच कर सख्त कार्रवाई करे। जांच को चार महीने में पूरा करने को कहा।
समिति बनाएं सेनाध्यक्ष
पीठ ने सेना प्रमुख को निर्देश दिया कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समिति बनाएं जिससे भविष्य में किसी के साथ ऐसा न हो। बाटमालू थाने में दर्ज एफआईआर की निष्पक्ष जांच कराने को कहा। रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख मिलकर बरामद किए गए सोने की बरामदगी के लिए एक उच्चस्तरीय जांच समिति बनाएं।
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