क्लब के सह संयोजक प्रो. डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि उत्सवधर्मिता महिलाओं का स्वभाविक गुण है, इसलिए त्योहार महिलाओं की सहभागिता के बिना अधूरे हैं। इस अवसर पर अभियंता निर्मल शर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से मां और उत्सवों में नारी की भूमिका को रेखांकित किया। गोष्ठी में डॉ. मंजुला बारहठ, कृष्णा वर्मा, डॉ. कृष्णा आचार्य, डॉ सुधा आचार्य, नागेन्द्र नारायण किराडू ,कासिम बीकानेरी, छात्रा मोनिका और मंजू यादव, डॉ. जगदीश बारहठ, हेमचंद बांठिया, राजाराम स्वर्णकार, बी.डी. हर्ष, अजीत राज, सरदार अली परिहार, डॉ. प्रकाशचन्द्र वर्मा, गिरिराज पारीक, भगवती प्रसाद पारीक, नरसिंह भाटी, असद अली असद, माजिद खान गौरी, अशोक कुमार विश्नोई सहित कई शिक्षाविदों, प्राध्यापकों, लेखकों व साहित्यकारों ने सहभागिता की।
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