सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को एक मरीज का
एंजियोग्राफी होना था, डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ ने अस्पताल की दुकान से ही यह डाई
मंगवाई। लेकिन उसकी सील टूटी हुई थी। सील को किसी जोड़ने वाले रसायन से जोड़ा गया
था। सील देखने के बाद ही शंका होने पर चिकित्सकों ने विभागीय प्रयोगशाला में इसकी
जांच की तो पता चला कि यह तो डाई है ही नहीं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि डाई
सामान्य रूप से देखने में सफेद दिखती है लेकिन इसका उपयोग होने पर यह काली हो जाती
है ठीक उसी तरह जैसे बालों को डाई करने वाले रसायन होते हैं। लेकिन अस्पताल से जो
डाई खरीद कर मरीज लाया था वह तो परीक्षण के दौरान भी सफेद की सफेद ही पाई गई।
डाक्टरों के अनुसार धमनियों में इसका इस्तेमाल
ब्लाकेज का पता लगाने के लिए किया जाता है , यह डाई जैसे-जैसे धमनियों में जाएगी वहां
इस डाई के प्रभाव से उसका चित्र एक्सरे में आएगा। कारण यह रंगीन होती है। लेकिन जब
नकली डाई को धमनियों में प्रवाहित किया जाएगा तो उसका रंग पानी की तरह सफेद होने
के कारण सही जानकारी नहीं मिलेगा।
यह भी पढ़े :अखिलेश ने 23 अक्टूबर को बुलाई विधायकों की अहम बैठक, राजा भैया से की मुलाकात
यह भी पढ़े :मुलायम की दूसरी पत्नी ने CM अखिलेश के खिलाफ रची साजिश, उन्हें शिवपाल का समर्थन
First Phase Election 2024 : पहले चरण में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, यहां देखें कहा कितना मतदान
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
पहले चरण के बाद भाजपा का दावा : देश में पीएम मोदी की लहर, बढ़ेगा भाजपा की जीत का अंतर
Daily Horoscope