उमाकांत त्रिपाठी [@ Exclusive- राजनीति के सैलाब में बह गई देश के दो कद्दावर परिवारों की दोस्ती]
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 8 नवंबर 2016 को अचानक देश से रूबरू हुए और 500 एवं 1000 के नोट के चलन से बाहर करने का ऐलान कर दिया। साथ ही उसकी परिणीती में हाने वाले कष्टों के लिए जनता से 50 दिन का समय मांगा। इस ऐलान का मकसद बताया गया कालेधन, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, आतंकवाद और जाली नोटों पर प्रहार। यह एक बहुत बडा फैसला था क्योंकी देश की कुल 85 फीसदी करंसी को चलन से बाहर कर दिया गया। जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बडा झटका हो सकता था। ये 50 दिन बीतने को हैं। अब जनता जहां अपने कष्टों का निवारण का इंतजार कर रही है, वहीं उस परिणाम का भी इंतजार कर रही है कि देश ने कितना मकसद हासिल किया।
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी का कालेधन और भ्रष्टाचार पर यह आखिरी हथियार है। 2014 लोकसभा चुनाव में पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कालेधन और
भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार किया था। उन्होंने भ्रष्टाचार को समाप्त करने की
बात कही थी। सत्ता में आने के बाद पहले ही हफ्ते में पीएम मोदी ने विदेशी
खतों में जमा हुए काले धन पर एसआईटी का गठन किया। काला बाजारी रोकने के लिए
नागरिकों को डायरेक्ट सब्सिडी उनके खतों में भेजने की पहल की। सांसद और
मंत्री को भी नसीहत दी कि अपने स्टाप के तौर पर किसी करीबी या रिस्तेदार को
न रखें।
केंद्रीय कर्मचारी समय से आएं और समय से जाएं। बेनामी संपत्ति की
बात की, ज्वेलरी रखने की सीमा तय हो, ऑन लाइन कारोबार पर जोर दिया, इत्यादि
विषयों पर पीएम ने काम किया। यह सारे रास्ते भ्रष्टाचार पर अंकुस लगाने के
लिए किये गए। इसी की एक कड़ी है नोटबंदी, जो सरकार की तरफ से सबसे बड़ा
प्रहार है।
आईपीएल 2024 : राजस्थान रॉयल्स ने दिल्ली कैपिटल्स को 12 रन से हराया
इंडिया गठबंधन आज दिल्ली में भाजपा मुख्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करेगा
मुख्तार अंसारी - प्रतिष्ठित परिवार से अपराध की दुनिया तक का सफर, यहां पढ़ें
Daily Horoscope