झांसी। एडीआर और यूपी इलेक्शन वॉच के मुख्य प्रदेश समन्वयक संजय सिंह ने कहा कि काले धन के खात्मे के लिए राजनैतिक दलों द्वारा लिए जाने वाले चंदे पर लगाम लगना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि जनता ने पीएम मोदी के फैसले का हृदय से स्वागत किया, लेकिन अब चुनावी महासमर में राजनैतिक दलों पर शिकंजा कसने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि काला धन समाप्त करने का स्वप्न तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक राजनैतिक दल पार्टी फंड के नाम पर व्यवसायी, उद्योगपतियों, धन्नासेठों से मजबूरन कालेधन को पार्टी फंड के नाम पर जमा कराते रहेंगे।
पत्रकार भवन में आयोजित वार्ता को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि नोटबंदी व डिजिटल बैंकिग कारोबार के बाबजूद कालेधन का खेल चल रहा है। राजनैतिक दलों के आय के स्रोत ज्ञात नहीं हैं। हम सब जानते हैं कि लोकसभा के अधिकतर प्रत्याशी चुनाव में 5 से 10 करोड़ तक खर्च लेते हैं। विधान सभा में भी यह करोड़ों में ही होता है। चुनाव आयोग ने यह सीमा भले ही 28 व 70 लाख निर्धारित किया हो। फंड देने वाले कारोबारी चुनाव के बाद के पांच साल इसे खूब भुनाते भी हैं।
राजनेताओं को राजनैतिक फंडिंग को पारदर्शी बनाने की मुहिम छेड़ें। ताकि भ्रष्टाचार के मुख्य स्रोत बंद हो सकें। एडीआर ने सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग में राजनैतिक फंडिंग की पारदर्शिता के लिए कई याचिकाएं दायर की हैं। इनके फैसले जल्द ही आएंगे। 8 नवम्बर से 30 दिसम्बर तक राजनैतिक दलों के पार्टी फंड में सैकड़ों करोड़ की पुरानी करेंसी जमा हुई। उन्हें धनराशि का दान लेने की सुविधा है। जबकि 20 हजार से अधिक का दान उन्हें खोलना पड़ता है। एडीआर इसके लिए देशव्यापी अभियान चला रहा है। इस संबंध में प्रदेश समन्वयक अनिल शर्मा ने बताया कि मतदाता जागरुकता के लिए युवा सम्मेलन व रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान जिला संयोजक महेश पटैरिया व जिला कार्यकारिणी सदस्य रोहित झां भी उपस्थित रहे।
चुनावी रिपोर्टिंग को लेकर मीडिया कार्यशाला बुधवार को
चुनावी रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों के अधिकारों और रिपोर्टिंग की सीमाओं को लेकर एडीआर/यूपी इलैक्शन वॉच और पत्रकारिता विभाग द्वारा बुधवार को एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला सुबह 11 बजे से विश्वविद्यालय स्थित गांधी सभागार में आयोजित होगी। इसमें प्रदेश व देश के मर्मज्ञों के द्वारा पत्रकारों और छात्रों को जिज्ञासाओं को शांत किया जाएगा।
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