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सीमा पर पेयजल के बिगड़े हालात, हाईकोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार

Disturbed situation of drinking water on the border, High court asked the government  to answer - Barmer News in Hindi

बाड़मेर। राजस्थान हाईकोर्ट में बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में पेयजल को लेकर बिगड़ते हालातों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई है। न्यायाधीश गोविंद माथुर व जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में पेयजल में पाए जाने वाले फ्लोराइड आर्सेनिक आदि के बारे में सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट का अध्ययन किया तथा इसे गंभीर बताते हुए सरकार से 7 मार्च तक जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता सुनील पारीक ने बाड़मेर-जैसलमेर में पेयजल के लिए स्वीकृत प्रोजेक्ट में देरी, उनकी लागत और बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ जवानों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं होने को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए सरकार से पूछा कि बीएसएफ जवान भी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है। इनके लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है। इसको लेकर अब 7 मार्च को जवाब पेश किया जाना है। जनहित याचिका में बताया गया कि केंद्र सरकार की ओर से पेयजल में फ्लोराइड अन्य तत्वों के निवारण के लिए प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए है, लेकिन प्रोजेक्ट के पेटे जारी राशि का उपयोग नहीं किया गया तथा प्रोजेक्ट में देरी से लागत भी बढ़ गई। पाक से सटे बाड़मेर-जैसलमेर के बॉर्डर पर स्थित 184 निगरानी चौकियों में से केवल 20 में ही शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। जवान भी दूषित पानी से अछूते नहीं हैं। खंडपीठ ने रिपोर्ट देखने के बाद मौखिक रूप से कहा कि प्रोजेक्ट का कार्य धीमी गति से किया जा रहा है। वर्ष 2010 में शुरू किया गया पोकरण, फलसूंड बालोतरा प्रोजेक्ट जिसे वर्ष 2014 तक पूरा किया जाना था, आज तक पूरा नहीं हुआ है। बाड़मेर में पेयजल प्रोजेक्ट के बुरे हाल है। स्वीकृति से एक साल में जो काम पूरे होने थे, उन्हें छह साल बीत गए हैं, फिर भी काम पूरा नहीं हुआ है। कार्य में देरी होने से बाड़मेर की जनता पानी के लिए तरस रही है। आंकड़ों के मुताबिक बाड़मेर लिफ्ट केनाल भाडखा-चौखला पेयजल प्रोजेक्टर 29 सितंबर 2011 को स्वीकृत हुआ था, इसे 2 सितंबर 2012 में पूरा किया जाना था। इसके बाद तीन बार इस प्रोजेक्ट की समय सीमा बढ़ाई गई, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। अब 31 जुलाई 2017 में इसे पूरा किया जाना है। जबकि इसके लिए 100 करोड़ के बजट की आवश्यकता है, लेकिन सरकार से नहीं मिला है। इसी तरह लिफ्ट कैनाल के बी, सी और डी, पोकरण फलसूंड-बालोतरा, नर्मदा नहर आधारित प्रोजेक्ट के हाल है। जनहित याचिका में बताया गया कि सरकार की ओर से समय पर बजट नहीं दिए जाने से पेयजल प्रोजेक्ट कब पूरे होंगे यह भी तय नहीं है। प्रोजेक्ट में देरी से लागत बढ़ जाती है और जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है। जबकि सरकार की ओर से फ्लोराइड युक्त पानी को साफ कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए लगाए गए आरओ प्लांट भी खराब हंै, इसका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है।

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Web Title-Disturbed situation of drinking water on the border, High court asked the government to answer
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