नई दिल्ली। नोटबंदी के फैसले के बाद शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पिछले 17 दिनों से चल रहे हंगामे और गतिरोध पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नाखुशी जाहिर करते हुए सरकार और विपक्ष के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने की अपील की है। राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि संसद की कार्यवाही में बाधा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
डिफेंस एस्टेट्स ऑर्गेनाइजेशन की गुरुवार को एक बैठक के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, ‘बतौर सांसद डिबेट करना और असहमत होना आपका अधिकार है लेकिन संसद की कार्यवाही बाधित करने का आपका कोई अधिकार नहीं है। नेताओं को संसद में धरना देने के लिए नहीं चुना जाता। भगवान के लिए, अपना काम कीजिए। आपका काम संसद की कार्यवाही को चालू रखना है।’ राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘मेरा मकसद किसी भी शख्स को दोषी ठहराने का नहीं है लेकिन अब यह (संसद की कार्यवाही बाधित होना) प्रैक्टिस बन गया है। संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए संसदीय स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।’ मुखर्जी ने इसके साथ ही लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पास कराने की वकालत की। मुखर्जी ने कहा, ‘महिला आरक्षण विधेयक लंबे वक्त से पेडिंग है और विधानसभाओं में में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’
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