नवांशहर। दिव्यांगों के सशक्तिकरण को लेकर राइट ऑफ पर्सन विद डिसएबिलिटी बिल राज्यसभा में नोटबंदी को लेकर गतिरोध के चलते फिर अटक गया। जिसके बाद दिव्यांगों ने शनिवार शाम कैंडिल मार्च निकाला और डिएबिलिटी बिल इसी शीत सत्र में पास कराने की मांग की। ये कैंडल लाइट मार्च बारादरी गार्डन से सलोह चैक तक निकाला गया। दिव्यांगों ने कहा कि जब प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह थे। तब इस बिल की फाइल बन चुकी थी। लेकिन लागू नहीं की गई। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आश्वासन दिया था कि दिव्यांगों का ये बिल जल्दी ही लागू किया जाएगा। जो अभी तक लागू नहीं हो सका है। राजिंदर सिंह गिल ने कहा कि हम सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि वे दिव्यांगों के लिए आगे आएं और सदन को सुचारु रुप से चलने में सहयोग करें। ताकि दूर गांवों में रहने वाले दिव्यांग भी आधारभूत सुविधाओं के साथ अपना जीवन यापन कर सकें। बिल के अनुसार दिव्यांगों को सभी आधारभूत सुविधाएं प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होगी। देश के लाखों दिव्यांग राज्यसभा में हुए हंगामे के कारण इस अनमोल उपहार से वंचित रह गए हैं। इस बिल के पारित होने के बाद ये पर्सन्स विद डिसएबिलिटी एक्ट 1985 का स्थान ले लेगा। जिसके तहत शिक्षण संस्थाओं और सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण की सीमा भी बढ़ जाएगी। इस मौके पर मैडम रजनी, डाॅ रविंदर कुमार फिजियोथेरेपिस्ट, राकेश कुमार, कुलदीप कुमार, प्रो निर्दोष गिल्ल, गुणराज गिल, पाहुल गिल, गगनदीप कौर, अंजू जांगड़ा, राजन कुमार और पलविंदर सिंह भी मौजूद रहे।
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