गुरूग्राम। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लगातार घट रही विद्यार्थियों की संख्या को लेकर शिक्षा विभाग सर्वे कराने की प्लानिंग कर रहा है। क्योंकि पिछले कुछ समय से स्कूलों मेें ड्रापआउट बच्चों की संख्या में बढ़ौतरी हुई है। लेकिन यह पता नहीं लग पा रहा कि स्कूल छोडक़र बच्चे अन्य किसी निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे या फिर पढ़ाई ही छोड़ चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे काफी स्कूल हैं, जिनमें ड्रापआउट का मामलों में बढ़ौतरी हुइ है। इसकी वजह जानने के लिए शिक्षा विभाग जल्द ही सर्वे शुरु करने जा रहा है। [@ Exclusive:1फरवरी को पेश हो सकता है आम बजट,PM मोदी लेंगेे फैसला]
शिक्षा विभाग की ओर से कराए जाने वाले सर्वे में वे सरकारी स्कूल होंगे, जहां पर विद्यार्थियों की सं या 30 या इससे कम है। विभाग द्वारा प्राइमरी स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स स्ट्रैंथ का असर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहा है। गुरूग्राम जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्राइमरी स्तर स्कूलों से बच्चे अधिक संख्या में ड्रॉपआउट हो रहे हैं। इन्हीं शिकायतों के चलते शिक्षा विभाग 2015-16 और 2016-17 सत्र के स्टूडेंट्स स्ट्रैंथ की रिपोर्ट बनाएगा। अलग-अलग स्कूलों से टीचर्स और स्टूडेंट्स की टीम बनाकर यह सर्वे होगा। इसमें जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान से भी टीचर्स को जोड़ा जाएगा।
गुरूग्राम जिले में 383 प्राइमरी और 91 मिडल स्कूलों की सं या है। वहीं पूरे हरियाणा प्रदेश में 84239 प्राइमरी और मिडल गवर्नमेंट स्कूल हैं। इन सभी स्कूलों में मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से सर्वे होगा। सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी, जिसके बाद ड्रॉपआउट विद्यार्थियों को रोकने के लिए शिक्षा विभाग नई रणनीति तैयार करेगा। हालांकि शिक्षा विभाग इससे पहले भी शिक्षा विभाग ड्रॉपआउट विद्यार्थियों को रोकने के लिए कार्य कर चुका है। लेकिन सही ढंग़ से आंकड़ों का विश£ेषण नहीं हो पाता कि ड्रॉपआउट बच्चे स्कूल छोडऩे के बाद अन्य स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं।
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