पानीपत। गीता दुनिया का ऐसा एक मात्र ग्रंथ है, जो विश्व मानव को निष्काम कर्म का संदेश देता है। गीता के नाम से लगभग 40 ग्रंथ और अनेक कविताएं लिखी गई। लेकिन मूल रूप में महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश ही गीता का आधार है। द्वापर युग में आरम्भ हुई गीता की यात्रा निर्बाध गति से वर्तमान युग तक आ पहुंची है। गीता के बारें में देश के सभी नागरिकों और छात्रों को अवगत करवाने के लिए छह दिसम्बर को भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अंतर्राष्ट्रीय गीता उत्सव समारोह का शुभारम्भ करेंगे। इस अवसर पर भारत के 174 जिलों के गीता प्रचारकों का गीता की पावन भूमि पर अभिनंदन किया जाएगा। इस ऐतिहासिक व अविस्मरणीय साक्षी बनकर गीता के सार रूपी इस पाठ का स्वर्ण कर स्वयं को धन्य करें। गीता प्रत्येक स्थान, प्रत्येक समय में एक एवं प्रत्येक के लिए बहुत उपयोगी ग्रंथ है। लोगों का इस सुवसर का लाभ उठाना चाहिए। उप जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि हिन्दू धर्म के लाखों अनुयायी प्रतिदिन एक अध्याय का पाठ श्रद्धापूर्वक करते हैं। लेकिन पूरे ग्रंथ को कंठस्थ कर लेने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती समारोह को लेकर जिला में खण्ड स्तरीय गीता जयंती महोत्सव की शुरूआत की गई। सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने विद्यालयों में हवन यज्ञ के साथ इस महोत्सव को आरम्भ किया। अधिकारियों ने गीता के महत्व के बारे में भी उपस्थित विद्यार्थियों को जानकारी दी। खण्ड स्तर पर प्रात सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों की अगुवाई में सभी खण्डों में यह कार्यक्रम मनाया गया। शनिवार को रंगोली और पेटिंग प्रतियोगिता करवाई गई और साथ ही खण्ड स्तरीय गीता श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता करवाई गई। इन प्रतियागिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को 10 दिसम्बर को शिवाजी स्टेडियम में आयोजित जिला स्तरीय अंर्तराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में सम्मानित किया जाएगा।
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