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विपक्ष का बंद बेअसर, मात्र बयानबाजी तक रहा सीमित

Close to neutralize opposition, restricted to mere rhetoric - Hanumangarh News in Hindi

हनुमानगढ़। नोटबंदी के खिलाफ सोमवार को विपक्ष का बंद पूर्णतया बेअसर रहा। पूरा दिन शहर की सभी दुकानें खुली रही। नोटबंदी को लेकर ‘भारत बंद’ का सिर्फ हल्ला रहा। हालांकि ऐसा नहीं है कि सरकार के निर्णय का विरोध नहीं है लेकिन असलियत ये है कि ज्यादातर विपक्षी पार्टियां ‘भारत बंद’ के बजाय महज विरोध प्रदर्शन ही करना चाहती थी। साफ है कि ज्यादातर बड़े दल भारत बंद के बजाय नोटबंदी को लेकर विरोध के लिए रैलियों और बयानबाजियों तक ही सीमित रहना चाहते थे। यही कारण है कि भारत बंद का असर नजर नहीं आया। माकपा ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंक विरोध प्रकट किया। आपको बता दें कि 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष ने 28 नवंबर को भारत बंद का एलान किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद सभी विपक्षी पार्टियां इस फैसले के खिलाफ एकजुट नजर आईं और एलान को वापस लेने की मांग की। हनुमानगढ़ की जनता पीएम मोदी के साथ खड़ी नजर आई। सोशल मीडिया पर जहां ‘भारत बंद’ के समर्थन और विरोध में खूब मैसेज वायरल हो रहे थे वहीं विपक्षी पार्टियां भी दो खेमों में बंटी नजर आईं। पुतला दहन से पूर्व माकपा के कार्यकर्ता जंक्शन रेलवे स्टेशन की बाउण्ड्री में एकत्रित हुए। वहां से एक रैली के रूप में बाजार में घूमे तथा भगतसिंह चौक पर पहुंचे। इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए माकपा राज्य सचिव मण्डल के सदस्य रामेश्वर वर्मा ने कहा कि पीएम मोदी कह रहे हैं कि नोटबंदी के बाद अमीर आदमी की नींद हराम हो गई है और गरीब आदमी चैन की नींद सो रहा है। लेकिन हो इसके बिल्कुल ऊल्ट रहा है। अमीर की बजाए गरीब पूरा दिन लाइन में खड़ा परेशान हो रहा है। पैसे निकलवाने व बदलवाने के चक्कर में वह अपने काम पर नहीं जा रहा। उन्होंने कहा कि पीएम ने 500 व 1000 के नोट बंद कर तथा 2 हजार के नोट छाप कर हवाला कारोबारियों, पूंजीपतियों व सट्टा बाजारों को ही फायदा पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि माकपा कालाधन निकालने के पक्ष में है मगर सरकार को आम जनता को ध्यान में रखकर पूरी योजना व व्यवस्था के यह काम करना चाहिए था। बिना सोचे-समझे तुगलकी फरमान लागू कर आम जनता को मुसीबत में डाल दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपए का टैक्स पूंजीपतियों का माफ कर दिया तो काले धन को सफेद करने की बात बेमानी है। 75 लोग लाइनों में लगे-लगे अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में सरकार को कालाधन निकालना है तो देश के 65 बड़े पूंजीपति हैं जिनके पास कालाधन है, सरकार उन पर कार्रवाई करे। आम जनता को परेशान करना बंद कर। उन्होंने नोट बदलवाने में दलाली खाने वालों पर लगाम लगाने व जरूरतमंद लोगों को राहत पहुंचाने की मांग की। सभा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रतिकात्मक पुतला फूंका गया। सभा में माकपा के आत्मा सिंह, सोहनलाल खालिया, बहादुर चौहान, राजेश नोखवाल, अरविन्द मुंशी, बीएस पेन्टर, हरजी वर्मा, मलकीत सिंह, सुरेन्द्र शर्मा, शेर सिंह शाक्य, मेजर सिंह, बसंत सिंह आदि मौजूद थे।


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Web Title-Close to neutralize opposition, restricted to mere rhetoric
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