वाशिंगटन। जलवायु परिवर्तन से जु़डे राष्ट्रपति बराक ओबामा के नियमों पर अमेरिका की सर्वोच्चा न्यायालय की रोक के फैसले से पेरिस समझौता खटाई में प़ड सकता है। इस फैसले के बाद जलवायु परिवर्तन के मामले में अमेरिकी प्रतिबद्धता को लेकर भारत और चीन संदेह कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
अखबार के अनुसार, पेरिस समझौते में हर देश ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें ओबामा ने आश्वस्त किया था कि अमेरिका इसके लिए ठोस कदम उठाएगा।
उन्होंने वादा किया था कि कार्बन उत्सर्जन पर्याप्त रूप से कम करने के लिए वे कानूनी रूप से मजबूत नीतियां बनाएंगे।
अखबार ने लिखा है, ""लेकिन, भारत और चीन, दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले दो देश, की राजधानियों में जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञों ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने अमेरिकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही शायद भारत और चीन की प्रतिबद्धता पर भी।""
अखबार ने नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ सदस्य नवरोज के. दुबाश के हवाले से कहा है, ""यदि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय वास्तव में कोयला आधारित बिजली घरों के लिए नियमों को पैदा होने के साथ ही मिट जाने वाला घोषित करता है तो देशों के बीच भरोसा पैदा करने की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। ""
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