जैसलमेर। नगरपरिषद भगवान भरोसे ही चल रहा है। जिले भर में हर विभाग रिक्त पदों से जूझ रहा है, लेकिन नगरपरिषद के हाल और भी बदतर है। यहां 80 प्रतिशत पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में काम समय पर होने के बारे में सोचना भी बेकार है। हालात ये हैं कि जनता चक्कर काटने पर मजबूर है और सरकार इस ओर ध्यान भी नहीं दे रही। यह हालात पिछले कई वर्षो से बने हुए हैं।
129 पद हैं रिक्त -
एक ओर शहर के विकास की बड़ी बड़ी बातें की जाने के साथ उम्मीद भी लगाई जाती है, वहीं दूसरी ओर नगर परिषद में कर्मचारियों व अधिकारियों का टोटा आड़े आ रहा है। उम्मीद लगाना बेकार है कि इतने कम स्टाफ में किसी भी तरह का काम आसानी से संभव हो सकता है। नगरपरिषद में सफाई कर्मचारियों के अलावा कुल 160 पद स्वीकृत है, जिनमें से 31 पद भरे हुए हैं और शेष 129 पद रिक्त चल रहे हैं।
कार्यों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल -
जानकारों के अनुसार यह हालात लम्बे समय से है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में शहर के हालात बदतर तो होने ही हैं। जैसलमेर नगर परिषद में तकनीकी अधिकारियों के भी पद रिक्त चल रहे हैं। जिससे यहां होने वाले विकास कार्यो में गुणवत्ता बरकरार रखना मुश्किल है। स्टाफ की कमी के चलते विकास कार्यो की गुणवत्ता गिर रही है। यहां एक्सईएन का एक, एईएन का एक और जेईएन के तीन पद खाली चल रहे हैं। पद रिक्त होने के चलते उपलब्ध तकनीकी अधिकारी सभी कार्यों पर मॉनिटरिंग भी नहीं कर पा रहे हैं। देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है, लेकिन जैसलमेर में इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। एक तो अधिकारियों की उदासीनता ऊपर से सफाई कर्मचारियों की कमी शहर को साफ सुथरा नहीं रख पा रही है।
जनता हो रही परेशान -
शहर में जगह जगह गंदगी के ढेर लगे मिल रहे हैं और कई इलाकों में तो रोजाना सफाई भी नहीं हो पा रही है। यहां सफाई कर्मचारियों के 165 पद स्वीकृत है जिसमें 108 कार्यरत है और 57 रिक्त चल रहे हैं। एक भी काम ऐसा नहीं है जो नगरपरिषद में आसानी से हो जाए और लोगों को चक्कर नहीं काटने पड़े। एक एक कर्मचारी के पास दो से तीन चार्ज है। शहरवासियों को नगरपरिषद से आए दिन काम पड़ता है, ऐसे में वहां उनकी सुनवाई भी समय पर नहीं हो पाती है। गली में कचरा हटाने व मृत पशु को हटाने से लेकर तामीर इजाजत, रजिस्ट्री व नक्शा पास करवाने, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह पंजीयन तक के काम के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं।
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