रोते हुए विदा देते मां-बहनें कह रही थी, मांवां
दे हीरे धीयां-पुत्त चले गए, कादियां सरकारा ने’। की वेखण आ गए हो हुण.,
साडे पिंडा दे पुल वेखो.., जिना ने साडे निआणो साडे तो खो लाए..।
मातम
में
डूबे अटारी के गांव महावा में जब राजनीतिक लोग पीड़ित परिवारों का दुःख
बाँटने पहुंचे तो लोगों का पुल को लेकर गुबार फूट पड़ा। उनके सामने ही
विलाप करते हुए उन्होंने सरकार व सरकार के सुस्त सिस्टम को कोसा। ये बच्चे
महंत
कौशल दास (एमकेडी) डीएवी पब्लिक स्कूल नेष्टा के महावा गांव के विद्यार्थी
थे। स्कूल में आज छुट्टी कर दी गई थी। बच्चों के दोस्त, स्कूल के
अध्यापकों के चेहरे गमगीन थे।
हर तरफ बस आंसुओं का
सैलाब बह रहा था। मृतक बच्चों के परिजन बच्चों के स्कूल बैग, टिफन, पानी की
बोतल आदि गले लगाकर रो रहे थे।परिजनों का कहना है की इस सारे हादसे का
जिम्मेवार जितना स्कूल प्रशासन है उतनी ही सरकार भी है
क्योंकि कई बार गांववासी इसे चौड़ा करने व मरम्मत करने की गुहार लगा चुके
हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
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