जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के उद्घाटन मौके पर पहुंची मुख्यमंत्री ने स्वागत भाषण में कहा कि लिस्ट्रेचर फेस्टिवल केवल फेस्टिवल नहीं है बल्कि, एक तरह की जंगल की आग है जो लगातार फैल रही है। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम शुरू कर दिया है। [@ 7वें वेतनमान का तो अता-पता नहीं, अभी तक तो 5वें और छठे वेतनमान की विसंगतियां ही दूर नहीं ]
राजे गुरुवार को जयपुर के डिग्गी पैलेस में 10वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में साहित्यकारों एवं साहित्यप्रेमियों को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि जयपुर के कला उत्सवों के साथ.साथ उदयपुर का वल्र्ड म्यूजिक फेस्टिवल और पुष्कर का सेक्रेड म्यूजिक फेस्टिवल जैसे आयोजन राजस्थान को साहित्य.कला जगत की बदलती दुनिया के चेहरे के रूप में पेश कर रहे हैं।
इसी के साथ भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि करीब चार करोड़ लोग सीधे तौर पर फायदा ले रहे हैं। उनका कैशलैस इलाज बड़ेे अस्पतालों में हो रहा है। इसी के साथ डिजिटलीकरण की दिशा में प्रदेश में बड़े स्तर पर काम हो रहा है। सभी जिला कलक्टर को बच्चों की खुशी के लिए खिलौने, पुस्तक सहित दूसरी योजनाओं पर काम करने को कहा गया है। इस मौके पर गीतकार-शायर गुलजार ने कहा कि मुझे सियासत नहीं आती, आम आदमी की तरह सियासत से प्रभावित जरूर हो जाता हूं। मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए गुलजार ने कहा कि शहर को खूबसूरत बनाने के लिए एक रहनुमा की जरूरत थी और बेशक आपने रहनुमाई बहुत अच्छी की। गुलजार ने कहा, मैं उस ऊंची कुर्सी पर बैठने से घबराता हूं, जिस पर बैठकर पांव जमीन पर नहीं टिकते। उस ऊंची कुर्सी पर बैठकर घमंड और गुरूर आ गया और ऊपर उठ गए तो पांव जरूर मैले नहीं होंगे, पर कलम स्याही का स्वाद चखना बंद कर देगी। जमाने को बहलाना आसान नहीं है। आप किसी छोटे हलके को तो बहला हो लेकिन पूरे समाज को नहीं बहला सकते। गुलजार ने कहा, जब किसी बर्तन के भीतर उबाल आ रहा हो तो बर्तन का ढक्कन खडख़ड़ाने लगता है। उसकी यह भाप ही मेरी लिखाई है। मेरे अंदर का उबाल ही मेरी लिखाई है। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में त्योहारों के अलग ही मजे हैं। पतंग हैं तो उसका त्योहार है, रंग हैं तो रंग का त्योहार है। अब किताबों का भी त्योहार है। इससे पूर्व शिलांग चेंबर कॉयर ने जेएलएफ के उद्घाटन से पहले डिग्गी पैलेस में मौजूद साहित्यकारों, गीतकारों, फिल्मकारों और तमाम लोगों के सामने अपने संगीत से रूमानियत भर दी। शुरुआत तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ कंपोज की गई जुगलबंदी से की गई। इसके बाद पुरानी हिंदी फिल्मों के गीतों को इंग्लिश सॉंग के साथ जोड़ा। बेहतरीन आवाज का जादू चारों ओर बिखरा।
शुरू किए कई अभिनव प्रयास
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