कुल्लू(धर्म यादव)। पाकिस्तान ने एक बार फिर से प्रस्ताव पारित करके जम्मू-कश्मीर की दो जलविद्युत परियोजनाओं किशनगंगा व रातले को तुरंत बंद करने के लिये भारत को कहा है, उससे एक बात तो साफ है कि पाकिस्तान भारत के साथ चल रहे पानी के विवाद से बुरी तरह से घबरा गया है लेकिन अब यह भी आशंका बढ रही है कि हिमाचल प्रदेश के कबायली जिला लाहुल-स्पीति में निमार्णाधीन जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर देश का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अड़ंगा लगा सकता है। पाकिस्तान की भारत के हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति में चिनाब नदी पर बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं पर टेढी नजर है और पाक चिनाब पर बनने वाली बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं में सैली, मयाड़ व जिस्पा जैसी महत्वपूर्ण परियोजना के निर्माण में अड़ंगा लगा सकता है। [@ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होगा आदमखोर तेंदुआ] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
जानकार सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 1960 सिंधु जल संधि की आड़ में पाकिस्तान ने भारत की चिनाब नदी पर बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण का विरोध करने की रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि भारत के हिमालय से पाकिस्तान की ओर बहने वाली चिनाब नदी पर जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति में ही सरकार और निजी क्षेत्र में करीब एक दर्जन से अधिक बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने की योजना है। जिसमें मुख्यतः 320 मैगावाट की सैली, सौ मैगावाट की मयाड़, 300 मैगावाट की जिस्पा परियोजना के साथ-साथ छतडू व जंगथंग आदि महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनायें हैं। इसके अलावा दर्जन से अधिक छोटी परियोजनायें भी सरकार की योजना में शामिल हैं। जिसकी पाकिस्तान को भी जानकारी है। हालांकि भारत और पाकिस्तान के वाटर कमिशन के कमिशनरों की टीमें संयुक्त रूप से बीते वर्ष लाहुल-स्पीति में चिनाब नदी का निरीक्षण कर चुकी है। जिसमें यह जांचा गया था कि परियोजना निर्माण में 1960 सिंधु जल संधि का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं।
अभी तक इस निरीक्षण का नतीजा सामने नहीं आया है और न ही भारत सरकार ने इस संदर्भ में अपनी कोई रिर्पोट जारी की है। लेकिन जिस तरह से भारत से पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदियों पर विद्युत परियोजनाएं बनाने को लेकर पड़ोसी मुल्क आपत्ति दर्ज करता आ रहा है उससे ऐसा माना जा रहा है कि लाहुल-स्पीति में चिनाब की धारा पर बनने वाली कई जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य लटक सकता है। पाकिस्तान इससे पहले भी भारत की कई जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर आपत्ति जता चुका है। किशनगंगा जल विद्युत परियोजना हो या फिर कश्मीर की झेलम परियोजना, पाकिस्तान परियोजना निर्माण को लेकर आपत्ति दर्ज करता आया है और अब पाकिस्तान की नजर में चिनाब नदी पर बनने वाली परियोजनाओं के मसले पर भारत को घेरने की रणनीति बना रहा है।
हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिला के बफीर्ले पहाड़ों से निकलने वाली चिनाब नदी दो नदियों के समागम से बनती है। चंद्रा और भागा को मिलाकर बनने वाली चिनाब नदी सयालकोट जिला से पश्चिम पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करती है। जबकि त्रिस्त के पास यह नदी झेलम और रावी से जा मिलती है। यह भी सर्वविदित है कि चिनाब, रावी, ब्यास, झेलम और सतलुज नदियों को मिलाकर पंचनद बनता है, जो आपसी मिलन के 50 मील बाद सिंधु नदी में जा मिलती है।
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