कन्नौज।नोट बंदी पर प्रधानमंत्री भले ही लोगों को पचास दिन में सब ठीक होने
का भरोसा दिला रहे हो। पचास दिन में सब सामान्य भी हो जाए, लेकिन कन्नौज में आलू
किसानों के लिये एक एक दिन काटना मुश्किल हो रहा है। नई करेंसी मौजूद न होने के
कारण न वह अपनी फसल बचाने के लिए कीटनाशक दवाएं खरीद पा रहे हैं और न उत्पादन
बढ़ाने वाले उर्वरक। वीआईपी जिला कन्नौज अपने आलू उत्पादन के लिए प्रदेश में
एक अलग पहचान रखता है। यहां के ज्यादातर किसान सर्दी के मौसम में आलू की फसल बोते
हैं। आलू बुआई के बाद ज्यादा देखभाल माँगता है। क्योंकि इसके बीज पर कीड़े जल्दी
हमला करते है। खरपतवार भी इसमें बाकी फसलों से कहीं ज्यादा होती है। जिसे सुधारने
में किसान कोई न कोई दवा रोज ही छिड़कते है, लेकिन नोटबन्दी के
बाद किसानों की आय के मुख्य स्रोत आलू की फसल पर नष्ट होने का खतरा मंडराने लगा
है। कन्नौज के आलू किसान लगातार खराब होती फसल से मायूस है।
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