कानपुर। जिले में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनाव दूसरी जीत की आस ने सोमवार को तोड़ दिया। कांग्रेसी नेता व ग्रामीण जिलाध्यक्ष अभिजीत सिंह सांगा के को सोमवार पंजे को छोड़कर कमल का दामन थाम लिया। सांगा के भाजपा में जाने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, तो वहीं भाजपा मजबूत होगी।
प्रदेश में अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस के गठबंधन की अटकलें तेज होते ही पार्टी नेताओं की बैचेनी के साथ उनके टूटने के आसार तेज कर दिए हैं। इसकी शुरूआत कानपुर की बिठूर विधानसभा सीट पर 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े व रनरअप रहे नेता अभिजीत सिंह सांगा के भाजपा में शामिल होते ही कर दी है। लम्बे समय से कांग्रेस पार्टी के लिए जमीनी राजनीति करने वाले नेता सांगा वर्तमान में ग्रामीण जिलाध्यक्ष के कार्यकर्ताओं के लिए प्रभावशाली बने हुए थे। लेकिन उनके अचानक पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाने से बीते कई दिनों से चल रही दल बदलने की चर्चा पर विराम लग गया। इसके साथ ही कानपुर में कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव में दूसरी जीत का सपना भी टूट गया।
बताते चलें कि कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में एक मात्र कांग्रेस पार्टी के विधायक अजय कपूर का नाम आता है। उनके बाद युवा चेहरे के रूप में अभिजीत सिंह सांगा का नाम पार्टी में लिया जा रहा था। हॉल के कुछ वर्षों में सांगा द्वारा कांग्रेस पार्टी के प्रचार प्रसार व जनसंपर्क को देखते हुए माना जा रहा था कि 2017 के विधानसभा परिणाम आने पर पार्टी कानपुर में दूसरी जीत फतह करने में कामयाब रहेगी। उनके पार्टी छोड़ने से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में मायूसी की लहर दौड़ गई है।
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