उत्तर प्रदेश विधानसभा
चुनाव में बूचड़खानों को लेकर सियासत गरमाने लगी है। विकास की बात करते-करते भारतीय
जनता पार्टी ने सरकार बनाने पर सूबे के सभी बूचड़खानों को बंद करने का ऐलान कर
अपनी विरोध पार्टियों को यह कहने का मौका दे दिया है कि इसके पीछे भाजपा का मकसद
हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण है।
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केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा उत्तर प्रदेश के लिए अपने घोषणापत्र में सरकार बनने पर
सूबे के सभी बूचड़खानों को बंद करने की बात कही है। विपक्षी पार्टियों का सवाल है,
चुनाव आते ही भाजपा अयोध्या में राम मंदिर से लेकर बूचड़खानों तक को सियासी रंग
क्यों देने लगती है?
उप्र विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने
प्रदेश में 12 मार्च से ही सभी बूचड़खानों को बंद करने का ऐलान कर दिया। मतदान के
नतीजे 11 मार्च को घोषित होंगे और अगर भाजपा को बहुमत मिली तो अगले ही दिन यानी
चंद घंटों बाद प्रदेश के सभी बूचड़खानों में ताला कैसे लटकने लगता है, यह देखना
बड़ा दिलचस्प होगा। समाचार वाले टीवी चैनलों को चुनाव परिणाम और उन पर विभिन्न
दलों की प्रतिक्रियाएं लेते-लेते अपने ओवी वैन को बूचड़खानों की तरफ मोड़ना होगा।
बूचड़खाने बंद करने के अपने अग्रिम फैसले की भाजपा ने मुखर होकर पैरवी की। पार्टी
की कद्दावर नेता रीता बहुगुणा जोशी ने आईएएनएस से कहा, "यह एकदम से लिया गया
फैसला नहीं है। हमारी पार्टी शुरू से ही गौहत्या और बूचड़खानों के खिलाफ रही है और
इसी संदर्भ में यह ऐलान किया गया है। विपक्ष प्रदेश में भाजपा को जीत मिलती देख
बौखला रहा है और बेवजह मामले को तूल दे रहा है।"
भाजपा द्वारा खेले गए बूचड़खाना कार्ड पर कटाक्ष करते हुए उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था, "केंद्र सरकार बूचड़खानों पर
इतनी हायतौबा मचा रही है तो वह पहले देश से मांस के निर्यात पर रोक क्यों नहीं
लगाती? वह बूचड़खानों को दी जाने वाली आर्थिक मदद भी रोक सकती है। रोककर देख
ले।"
भारत मांस निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है। उत्तर प्रदेश भैंस के
मांस उत्पादन में अग्रणी राज्य है। आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से देश के कुल भैंस
मांस उत्पादन में उत्तर प्रदेश की भागीदारी 28 फीसदी है।
उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष और सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने
आईएएनएस से कहा, "भाजपा ध्रुवीकरण की राजनीति करती रही है और इस बार वह
बूचड़खानों को बंद करवाने के नाम पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर रही है। गौर करने
की बात है कि सबसे ज्यादा बूचड़खाने भाजपा शासित राज्यों में ही हैं, यहां कुछ
कहने की गुंजाइश ही नहीं बचती।"
जूही की बात में दम है। देश में चल रहे डेढ़ हजार से भी ज्यादा बूचड़खानों में से
ज्यादातर भाजपा शासित राज्यों में ही चल रहे हैं। 316 बूचड़खानों के साथ
महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, जबकि 285 बूचड़खानों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे
स्थान पर है।
इसी मुद्दे पर सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, "भाजपा
सांप्रदायिकता फैलाने के लिए इस तरह की बात कर रही है। भाजपा ने सत्ता में आने पर
आतंकवाद खत्म करने की बात कही थी, लेकिन हुआ क्या? ढाई साल में दो सौ से ज्यादा
हमारे जवान मारे गए। अब सर्जिकल स्ट्राइक का ढिंरोरा पीटा जा रहा है। मैं तो कहता
हूं, कोई भी दल बूचड़खाने बंद नहीं कर सकता। बूचड़खानों से मांस का निर्यात बड़े
पैमाने पर होता है। बूचड़खाने सिर्फ मुसलमानों के नहीं हैं बल्कि यह हिंदुओं के भी
हैं और इन्हें बंद करना संभव नहीं है। भाजपा नेता संगीत सोम भी मांस निर्यात के
लिए लाइसेंस पाने की कोशिश में लगे थे। अरे वही संगीत सोम.. मुजफ्फरनगर दंगे
वाले।"
इधर, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती भी भाजपा को सांप्रदायिक राजनीति करने
वाली पार्टी करार देते हुए विभिन्न वर्गो के मतदाताओं को सावधान रहने की नसीहत
देती हैं और प्रतिकार में खुलकर कहती हैं कि मुस्लिम वोट बंटना नहीं चाहिए। यह
ध्रुवीकरण का उनका अपना अंदाज है।
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