भरतपुर। सरकारी तंत्र अपनी मानवीय संवेदनाओं को खो चुका है। इसका जीता-जागता उदाहरण शुक्रवार रात्रि को भरतपुर के सरकारी जनाना अस्पताल में देखने को मिला। जब एक दलित महिला की प्रसव कक्ष के गेट पर तड़प-तड़प कर जान निकल गई। लेकिन वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मीयों ने उसका प्रसव इसलिए नहीं कराया क्योंकि उसके परिजनों के पास देने के लिए एक हजार रुपए नहीं थे। जानकारी के मुताबिक नदबई के सेवला गांव निवासी रामवीर जाटव गर्भवती पुत्रवधू रीना को भरतपुर के जनाना अस्पताल में प्रसव के लिए लाया था। जहां उसे भर्ती तो कर लिया गया लेकिन प्रसव के लिए पैसों की मांग के चलते रीना का प्रसव कराने से मना कर दिया।
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