बाड़मेर। तमिलनाडु की जनप्रिय मुख्यमंत्री जयललिता नहीं रहीं। मजबूत इरादों के साथ अपनी ही शर्तों पर सियासत करने वाली जयललिता को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमजीआर सियासत में लाए। वर्ष 1984 में राज्यसभा सदस्य बनने के दौरान बाड़मेर के दिग्गज भाजपा नेता जसवंतसिंह से उनकी मित्रता हुई।
उस मित्रता को दोनों ने बखूबी निभाया। किसी भी संकट के समय में सरकार की ओर से जयललिता को मनाने का जिम्मा सदैव जसवंतसिंह के हाथ रहा। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में जब यह तय हो गया कि चुनाव यूपीए के हामिद अंसारी जीतेंगे। तब भी जयललिता ने अपना खुला समर्थन जसवंतसिंह बाड़मेर को दिया यह कहते हुए दिया कि ‘यह समर्थन एनडीए को नहीं है, जसवंत सिंह बाड़मेर को व्यक्तिगत है, क्योंकि वे मेरे मित्र हैं और शानदार राजनेता हैं’। जसवंत सिंह समर्थकों ने मंगलवार को जयललिता के निधन पर शोक जताया।
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