ऋषिपाल ने कहा गिरोह पीडितों को विश्वास में लेने के लिए खुद को अनपढ
दिखाता था। वे पीडितों को एक डॉलर दिखाकर पूछते थे कि सर, क्या आप बता सकते
हैं कि यह क्या है। यह हमें जमीन पर गिरा मिला..क्या यह कीमती है। यह लोग
पीडितों से कहते थे कि उनके पास ऎसे ही करीब 6,000 डॉलर हैं।
उन्होंने बताया कि यदि शिकार इनकी कहानी में फंस गया तो वे सौदा करते या
सभी डॉलर के बदले बहुत थोडी भारतीय मुद्रा लेने की बात करते। लोगों से कहते
कि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। अधिकारी ने कहा, कुछ लोग 6000 डालर
खरीदने पर सहमति जता देते थे। इसके बाद गिरोह मुद्रा बदलने के लिए पीडित को
किसी एकांत जगह बुलाता था। और फिर, चाकू या बंदूक की नोक पर उनके कीमती
समान और पैसे लूट लेता था।
(आईएएनएस)
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